
बांग्लादेश की स्वाधीनता के नायक और पहले राष्ट्रपति शेख़ मुजीबुर रहमान के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच दोस्ती की गर्मजोशी, उनकी हत्या के बाद से धीरे-धीरे ठंडी पड़ती गई है। लेकिन शेख़ मुजीब की बेटी, शेख़ हसीना वाजिद पहली बार 1996 में जब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं तो भारत-बांग्लादेश संबंध बेहतर होने लगे थे।
साल 2009 में दोबारा शेख़ हसीना प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठीं और बांग्लादेश की राजनीति और विदेश नीति को नये आयाम देने शुरू कर दिए।
अगले सप्ताह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के दौरे पर आ रही हैं और एक बार फिर से दोनों देशों के बीच कई परस्पर सहयोग के रिश्तों पर बातचीत होगी।
कुछ जानकारों का मानना है कि शेख़ हसीना की यात्रा के दौरान, चरमपंथ और सुरक्षा जैसे अहम विषय पर कुछ ठोस प्रगति दिख सकती है। जानकारों का कहना है कि इसके लिए अगर भारत को कुछ छोटे-मोटे समझौते करने भी पड़ें तो कर लेना चाहिए।