फूड इन्सपेक्टर संजय सिंह का दावा मैंने किया मैगी का खुलासा बॉस ने ले लिया क्रेडिट

mag1998 बैच के फूड इन्सपेक्टर संजय सिंह का दावा है कि मैगी की पोल उन्होंने खोली, लेकिन उनके बॉस ने इसका क्रेडिट ले लिया ।

संजय का कहना है कि उन्होंने कई महीनों तक भागदौड़ और कड़ी मेहनत से मैगी की असलियत को सामने लाने का काम किया, लेकिन उनके बॉस वीके पांडे ने इसका क्रेडिट ले लिया।

सिंह का कहना है कि उन्होंने 10 मार्च 2014 को बाराबंकी के बाजार से मैगी के सैंपल लिए थे। इसे उन्होंने गोरखपुर की लैब में जांच के लिए भेजा। टेस्ट में, मैगी में लेड और एमएसजी की भारी मात्रा होने की बात सामने आई। इस रिजल्ट को पुख्ता करने के लिए उन्होंने दूसरी जगह से सैंपल लेकर अलग टेस्ट करवाया। सिंह का कहना है, ‘दूसरे टेस्ट में भी वही नतीजे निकले। नूडल्स में तय मात्रा से आठ गुना ज्यादा लेड और एमएसजी निकला।’

संजय सिंह के मुताबिक, ‘इन अनियमितताओं पर मैंने कंपनी को नोटिस भेजा। कंपनी ने इस टेस्ट पर सवाल उठाए और कोलकाता की सेंट्रल फूड लैबरेटरी में फिर से टेस्ट कराने को कहा। वहां भी, टेस्ट के वही नतीजे आने पर मैं पुख्ता हो गया।’ कोलकाता की लैब के नतीजे में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) पाई गई, जो तय सीमा (0.01 पीपीएम-2.5 पीपीएम) से करीब आठ गुना ज्यादा थी। वैज्ञानिकों को इसमें स्वाद बढ़ाने वाले एमएसजी की भी काफी ज्यादा मात्रा मिली थी।

उन्होंने कहा कि बाद में 30 मई को अडिशनल चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट के आदेश पर फूड ऐंड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स ऐक्ट 2006 के सेक्शन 59 (1) की धारा में असुरक्षित खाद्य पदार्थ बेचने के मामले में केस दर्ज किया गया। इसके तहत छह महीने की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।